मंजूषा श्रीवास्तव मृदुल

वतन हिन्द मेरा मेरी जान है


 


वतन हिन्द मेरा मेरी जान है |


यही शान अपनी यही मान है |


 


 


अमन का पुजारी अमन चाहता -


अमन हो जहाँ में ये अरमान है |


 


 


तिरंगा हमारा झुकेगा नहीं -


मेरे देश की यह ही पहचान है|


 


 


है मिट्टी यहाँ की तिलक भाल का -


यही आत्म गौरव ये सम्मान है |


 


 


विविध जाति धर्मों के खिलते सुमन -


ये वो बाग जिसकी अजब शान है |


 


 


ये हिन्दू मुसलमां ये सिख पारसी -


ये हिन्दोसतां की ही संतान हैं |


 


 


जो इस सच को झुठला करे नीचता -


कृतघ्नी हैं वो कितना हैवान है |


 


 


मिटा शत्रु को आन रखना सदा -


वतन के लिए जान कुर्बान है |


 


 


'मृदुल' भावना शक्ति की साधना -


यही मान सम्मान अभिमान है |


 


 मंजूषा श्रीवास्तव मृदुल


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