मनोज शर्मा मधुर

बेटे ने पैगाम लिखा है ।


अपनी माँ के नाम लिखा है।।


 


छोटों को है प्यार, बड़ों को


आदर सहित प्रणाम लिखा है।


 


बन्दूकें और तोप खिलौने,


युद्ध खेल का नाम लिखा है।


 


जंग ही होली,जंग दीवाली,


फतह,ईद का नाम लिखा है।


 


संगीनें ही बनीं संगिनी,


कर्म,सजग अविराम लिखा है।


 


मातृभूमि अब माँ है मेरी,


घर को हिन्दुस्तान लिखा है।


 


यदि वैरी रावण-सा तो क्या,


खुद को उसने राम लिखा है।


 


तेरी कोख की पुण्य शहादत,


शोणित से युद्ध-विराम लिखा है।


 


मेरी वीर - प्रसूता माँ,


इस देश ने तुझे सलाम लिखा है।


 


© मनोज शर्मा मधुर


रूपबास,भरतपुर, राजस्थान


मो० 9784 999 333


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