रणक्षेत्र में बिगुल बजा है
हो जाओ तैयार सैनिकों,
दिखला दो तुम आज विश्व को
अपनी माँ से प्यार सैनिकों।
कुछ साँप विषैले वसुधा पर
इन्हें कुचल-मसल देना है,
उठा ना पाएँ ये फन अपना
कर दो इतना वार सैनिकों।
बहुत पिलाया गोरस इनको
बस!रुक जाओ अब और नही,
दिखलाओ अब इनको भी तुम
अपनी भी हुंकार सैनिकों।
"हेमराज"के सिर को वीरों
नही भूल पाएँ हैं अब तक,
बंद पड़ी थी म्यानों में जो
तानो अब तलवार सैनिकों।
धू-धू लंका जली कनक की
बहुत बड़ा दंभी रावण था,
पाकिस्तानी राक्षस का भी
कर दो तुम संहार सैनिकों।
लहराएगा सदा तिरंगा
दुश्मन का सिर नीचा होगा,
दीप जलेगा घर-घर होगा
एक नया त्योहार सैनिकों।
गौरव हो तुम मातृभूमि के
तुमसे ही हम सबकी साँसे,
नत होती है "मुक्ता"तुम पर
एक नही सौ बार सैनिकों।
मुक्ता गुप्ता
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें