नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

जिंदगी आजमाने लगी है


चाँदनी मुस्कुराने लगी है


घने बादलों के साये मेंआरजू आसमाँ बताने लगी है।।


 


सुबह सूरज की मुस्कान


दिल के अरमाँ जागती है


कभी सावन के फुहारों में


वासंती बयारों में जिंदगी


मुस्कुराने लगी है।।


 


ख़ाबों की अंगड़ाई चाहतो तन्हाई


की परछाई दिल की


दस्तक मुहब्बत जगाने लगी है।।


जिंदगी मुहब्बत बताने लगी है।


 


जज्बे की जमीं को जन्नत


की है ख्वाहिस इरादों के


आईने जन्नत दिखाने लगी


है।।                                 


 


जिंदगी जिंदगी बताने लगी है।।


 


जिंदगी है मासूका 


मासूक है जहाँ ,जहाँ


जिंदगी में आशिकी अश्क


बेपनाह नज़राने हज़ार


जिंदगी मकसद से मिलने पास आने लगी है।।


 


जिंदगी का नसीब 


कभी गम के आसूं 


सबनम के मोती समन्दर


के किनारे कभी बैठा करता मोतियो का इन्तज़ार।


जिंदगी ख़ुशी औ गम बताने 


लगी है।।


 


जिंदगी सावन की घटावों


की अदाएं हवा के झोंको


में बिखरी जुल्फों में छिपी


चेहरा कभी सूरज की लाली है


कभी अँधेरा ही अँधेरा।।


जिंदगी जिंदगी का मतलब बताने लगी है।।


 


नशा है जिंदगी अंदाज़ जीने का


ना सकी है ,ना पैमाना, नजर आता नहीं मैख़ाना नशे में झूमती जिंदगी ।।


जिंदगी नसीहत का नशा बताने लगी है।।


 


नशा जूनून नशा सुरूर बिन


पिए शराब जिंदगी का नशा


लाज़बाब जिंदगी गाती हस्ती में


जिंदगी नशा नशेमन बताने लगी है।।


 


जिंदगी आग है जिंदगी ख़ाक है


परवाने सी जलती है दीवाने सी


भटकती है जिंदगी मायने मोहब्बत समझाने लगी है।।


 


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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