नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

जवानी की रवानी दीवानी 


मस्तानी होती है।


लगा दे आग पानी में जवानी


आग होती है।।


जवानी दरिया समंदर,तूफां


घूम जाए जिधर तूफानी


होती है।।


खुदा भी खौफ़ज़ादा जवानी


के तारानो से कहि बे राग मौसम


कभी मौसम से बेगानी होती है।।


परवाह नहीं कश्ती किनारों का 


खुद के किनारों की हद


हस्ती होती हैं।।


जवानी की मौत भी सजदा करती


बदल दे वक्त किस्मत को जवानी


वो कहानी होती है।।


 कभी वो तोड़ती पत्थर 


कभी निकलती वो निर्झर


गीतों की धुन में जवानी


नई आन्दाज होती है।।


पसीनों में नहाईं मेहनत 


मोती की चमक 


महक जवानी की कहानी


जुबानी होती है।।


चाहतों की मंज़िलों का अफसाना


जहाँ की मजलिसों महफ़िलों की


अदा आशिकी जवानी अकिकत


आम होती है।।


सुबह सुर्ख सूरज अपने रौ में 


चलती जवानी अदाओं की नाज़


होती है।।


निकली नहीं चिंगारी ना


शोला ज्वाला आई नहीं


जवानी सुबह की शाम आम


होती है ।।


चलते वक्त रफ्तार की धार


बदल दे तरानों से तारीख जवानी


जज्बों की वो जाम होती है।। जवानी एक नशा बिन शराब 


शबाब बहकती है अपनी धुन में


महकती है जवानी अपनी आरजू


का चमन बहार होती है।।


इश्क है, अंजाम है,


आगाज़ है ,आवाज़ है ,जवानी


जिंदगी के सफ़र की जान है।।


जवानी जूनून का पैमाना


शुरुर शान की मंज़िल का मैख़ाना


जवानी मधुमास की बयार होती


है।।


मासूम की चाहत ,नादां की


राहत ,जवानी पत्थर फौलाद होती है।। परवानों सी जलती मकसद की मोहब्बत शमां के लौ पे मरती है जवानी की अपनी पहचान होती है।।


जवानी चुनौती है जवानी


चाहत की चाशनी जहाँ आई


नहीं वहां अंधेरो की शाम होती है।। 


आई जहाँ छायी जहाँ सावन 


की रिमझिम फुहार शोला शैलाभ


जवानी वक्त बदलती तलवार होती है।।


 


नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर


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