1-गाँव की माटी प्रकृति---
सुबह कोयल की मधुर तान
मुर्गे की बान सुर्ख सूरज की
लाली हल बैल किसान गाँव
की माटी की शोधी खुशबू भारत
की जान प्राण।।
बहती नदियां ,झरने ,तालाब
पगडंडी पीपल की छाँव
बाग़ ,बगीचे विशुद्ध पवन के
झोंके भावों के रिश्तों के ठौर
ठाँव गाँव की माटी की शान।।
भोले भाले लोग नहीं जानते
राजनिति का क्षुद्र पेंच दांव
एक दूजे के सुख दुःख के साथी
गाँव की माटी का अलबेला रीती
रिवाज।।
जाती धर्म अलग अलग हो
बड़े उमंग से शामिल होते मिल
साथ मनाते एक दूजे का तीज
त्यौहार।।
2--गाँव की माटी और जन्म का रिश्ता---
गाँव की मिट्टी की कोख से
जन्मा भारत हिन्द का हर
इंसान चाहे जहाँ चला जाए
गाँव की मिट्टी ही पहचान।। पैदा होता जब इंसान पूछा
जाता माँ बाप कौन ,कहाँ
जन्म भूमि का कौन सा गाँव
गाँव गर्व है गाँव गर्भ है
गांव की माटी का कण कण
ऊतक टिशु सांसे धड़कन प्राण।।
उत्तर हो या दक्षिण पूरब हो
या पक्षिम गाँव से ही पहचान
कहीं नारियल के बागान कहीं
चाय के बागान सेव ,संतरा ,अंगूरों
की मिठास खुसबू में भारत के कण कण का गाँव।।
त्याग तपस्या बलिदानो की
गौरव गाथा का सुबह शाम
गाँव की माटी का अभिमान।।
आजाद ,भगत ,बटुकेश्वर, बिस्मिल हो या लालापथ राय बल्लभ पटेल हो ,या राजेन्द्र प्रसाद चाहे लालबहादुर सब भारत के गाँवो की माटी के लाल।।
3--गांव की माटी वर्तमान और इतिहास-----
इतिहास पुरुष हो या वर्तमान
गाँव की माटी के जर्रे का जज्बा
बचपन नौजवान ।।
सुखा ,बाढ़ मौसम की मार
विषुवत रेखा का भी गाँव जहाँ
अग्नि की वारिश भी लगाती है
शीतल छाँव।।
लेह ,लद्दाख ,लाहौल, गंगोत्री हिम
हिमालय की गोद में बसे गाँव
हर दुविधा दुश्वारी भी प्यारी
नहीं चाहता छोड़ना क़ोई अपना
गाँव।।
गाँव की मिटटी का पुतला गाँव का वर्तमान गाँव की परम्परा में ही
खुश गाँव की माटी पर ही प्रथम
कदम गाँव की मिटटी में ही चाहत
लेना अंतिम सांस।।
गाँव आँचल बचपन का कागज
की कश्ती वारिश का पानी का
गाँव परेशानी बदहाल गॉव हर
हाल में जन्नत से खूबसूरत जननी
जन्म भूमि स्वर्गादपि गरिष्येते गाँव की माटी जीवन का प्रारम्भ
अंतिम सांस की माटी गाँव।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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