निभा राय नवीन

वतन की सौंधी-सी खुशबू, हमें जान से प्यारी है l


जय हिन्द,जय भारत माँ,अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll1ll


 


जिसकी धरती उगले सोना, सूरज करता उजियारा , 


जिसके रज कण-कण मे संचित, स्नेहिल भाईचारा l


पावन नदियाँ गंगा-यमुना, बहती है जलधारा, 


श्वेत, हरा, केशरिया पहने, झंडा ऊँचा रहे हमारा ll


 


लिए तिरंगा हाथों में, करते हम रखवारी है l


जय हिन्द,जय जय भारत माँ,अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll2ll


 


जहाँ नारी त्याग की मूरत हो, हर माँ ममता की सूरत हो,  


है रीत-रिवाजों का संगम, हर नर-नारी करते वंदन l


हर भाषा-भाषी मिलकर रहते, जैसे इंद्रधनुष के रंग, 


हिमगिरि भाल सोहती, उस भारत माँ का है दम्भ ll


 


जहाँ बुद्ध-विवेका ज्ञान चक्षु ले, धरती पर अवतारा, 


भारत देश हमारा न्यारा, वतन जान से प्यारी है l


जय हिन्द, जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll3ll


 


 जहाँ अतिथि को ईश्वर माना, छः ऋतुएँ लगे सुहाना, 


जहाँ ऋषि-मुनि का डेरा है,गुण-ज्ञान अनन्त बसेरा है l


जहाँ हर डाली पर सुन्दर चिड़ियाँ, गाए शाम-सवेरा, 


जहाँ नित-नूतन रश्मि प्रभा, हर लेती घोर अँधेरा ll


 


जहाँ देव-दनुज के दलन हेतु, मानव तन ले अवतारा l


एक हाथ मे लिए तिरंगा, दूजा आरती थाली है l


जय हिन्द, जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll4ll


 


जहाँ सत्य-अहिंसा और धर्म का, पाठ पढ़ाया जाए, 


जहाँ गाँधी-गौतम बुद्ध पुरुष को, शीश नवाया जाए l


जहाँ रामायण और गीता से,जन-जन का गहरा नाता, 


 जहाँ दुराचरण शोषण विरुद्ध, आवाज उठाया जाता ll


 


जहाँ श्वेत, हरा, केशरिया में, सजता है जीवन सारा l


हमको है अभिमान वतन का, हम भारत की नारी है l


जय हिन्द, जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll5ll


 


जहाँ गौ माता की पूजा हो, नारी देवी सम् पूजनिया, 


मात्-पिता-गुरु चरणों मे, शीश नवाती है दुनिया l


सभ्यता-संस्कृति और स्नेह का अतुलित है भंडारा, 


नर-नारी के स्वर से फूटे, अविरल काव्य की धारा ll


 


जहाँ राम पुरुषोत्तम, केशव प्रेरणा स्रोत पधारा l


जिसका पाँव पखारे सागर,जिसका सिंह सवारी है l


जय हिन्द जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll6ll


 


गौरवमय इतिहास जहाँ का,वेद पुराण बखाना है, 


शौर्यवान सुत शरहद पर, मातृभूमि की शान है l


जँह नारी दुर्गा, झाँसी की रानी बनकर संहार करे, 


सती अनसुइया से ब्रम्हा,विष्णु,महेश स्तनपान करे ll


 


जँह वात्सल्यता यशोदा का, पाने को कृष्ण पधारा l


वतन खून का प्यासा है, दुश्मन दल पर भारी है l


जय हिन्द, जय भारत माँ, अनुपम कीर्ति तुम्हारी है ll7ll


                                *"निभा राय नवीन"*                                          


                                    (पूर्णियाँ, बिहार)


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