निशा अतुल्य

प्यार का एक मैं दीप जलाऊँ,


प्रियतम मन में तुम्हें बैठाऊँ ।


बैठो पास जरा तुम मेरे,


प्रेम गीत मैं तुम्हें सुनाऊँ।


प्यार का एक मैं दीप जलाऊँ,


प्रियतम मन में तुम्हें बैठाऊँ ।


 


बातें बहुत सी हैं कहनी, 


बोलो किस पल तुम्हें बताऊँ।


वो मीठी मीठी सी यादें,


सोच सोच कर मैं शरमाऊँ।


प्यार का एक मैं दीप जलाऊँ,


प्रियतम मन में तुम्हें बैठाऊँ ।


 


तुम तो मेरे प्राण प्रिय हो,


तुमको हर पल ही मैं रिझाऊँ


प्रेम प्रीत का बंधन अनुपम,


हर जन्म मैं साथ निभाऊँ।


प्यार का एक मैं दीप जलाऊँ,


प्रियतम मन में तुम्हें बैठाऊँ ।


 


कितना सुंदर सफर हमारा,


मिल कर इसको पार लगाऊँ


साथ सदा रहना तुम साथी,


बस ईश्वर से सदा मनाऊँ ।


प्यार का एक मैं दीप जलाऊँ,


प्रियतम मन में तुम्हें बैठाऊँ ।


 


निशा अतुल्य


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