निशा अतुल्य

श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,


हे नाथ नारायण वासुदेवा।


 


हे गिरधारी कृष्ण मुरारी,


विकल सकल संसार।


देख रहें हैं तुम को ही सब,


ले लो फिर अवतार ।


 


पाप बोझ बढा धरती पर,


लगती दुनिया पापी।


नन्ही नन्ही दौपद्री कान्हा,


फिरती मारी मारी।


 


मित्र ने कोई बने सुदामा,


ना सारथी तुम सा।


आंधी ऐसी चल रही कान्हा,


हो रहा नाश धर्म का ।


 


लगता हर कोई दुर्योधन,


अर्जुन बन कर आओ ।


देना ज्ञान उन्हें भी इतना,


चौपड़ न खिलवाओ।


 


महाभारत सा युद्ध न हो अब


जागे दुनिया सारी


एक बार लो अवतार प्रभु तुम


संभले दुनिया सारी ।


 


श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी ,


हे नाथ नारायण वासुदेवा।


 


निशा"अतुल्य"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...