निशा अतुल्य

गणपति वंदन


गणपति


विघ्न विनाशक


संकट हारण तुम


बुद्धि ज्ञान 


दाता ।


 


गिरिजासुत


मातृ भक्त


आरती करूँ तुम्हारी


प्रथम पूज्या 


तुम ।


 


उसके


कारज 


सिद्ध हो जाते


जो तुम्हें 


ध्याता ।


 


मोदक 


मन भाते


भक्त भोग लगाते


शुभ-लाभः 


पाते।


 


विनायक


भाल चंदन


हृदय से वंदन


स्वीकार करो


हमारे।


 


तुमरी


मूषक सवारी


लगे बड़ी प्यारी


पान सुपारी


चढ़ाया।


 


कर 


जोड़ करूँ


वंदना तुम्हारी गजानन


कृपा अधिकारी


तुम्हारी।


 


निशा"अतुल्य"


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