कितने सुन्दर कृष्ण कन्हिया
माँ मुझको तुम राधा बना दो
मुरली इनकी कितनी सुन्दर
बना मोर पँख मुझे सजा दो ।
मैं ले गगरी पनघट जाऊंगी
लहंगा चोली मुझे पहना दो
जब कान्हा फोड़ेगा गगरी
यशोदा माँ से उसे पिटवा दो।
छेड़गा जब कृष्ण कन्हैया
गोकुल में फिर रास रचा दो
सूरत से लगता है भोला
माँ मुझको तुम कृष्ण दिला दो।
मुरली सुन सखियों सँग नाचूं
ग्वाल बाल सँग उसे नचा दो।
मेरा कान्हा बड़ा है प्यारा
माखन मिश्री इसे खिला दो ।
कितने सुन्दर कृष्ण कन्हिया
माँ मुझको तुम राधा बना दो ।
निशा अतुल्य
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