निशा अतुल्य

देश बढ़े और बढ़ता ही रहे 


ऐसे काम सदा करना ।


मान बढ़े देश का सँग तेरे 


काम विलक्षण कुछ करना ।


 


चिड़िया जहाँ चहचहाती हो,


मंदिर की घण्टी बजती हो,


प्रातः भोर अनुपम बेला में,


माँ घर में दीप जलाती हो ।


 


बड़े बड़े सपनों से सजी ,


रात धीरे से ढल जाती हो।


मेरे देश की माटी चंदन है ,


हर दिल में महक जगाती हो ।


 


होंठो पे माँ का गुणगान रहे


हर पल सब शिश नवातें हो ।


ऊर्जा मन में संचित जो रहे ,


तब काम बड़े कर जाते हो ।


 


प्रभु इतना ज्ञान सदा देना,


कोई काम बुरा न हमसे हो ।


जग चाहे जैसे काम करें,


मन में हमारे सद्भावना हो ।


 


राग द्वेष और ईर्ष्या से ,


प्रभु हम को दूर सदा रखना ।


काम देश के आएं हम ,


ये ज्ञान सदा मन में भरना ।


 


देश बढ़े और बढ़ता रहे 


हर दिल में सदा ये चाह रखना ।


 


स्वरचित 


निशा"अतुल्य


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