सावन फ़ुहार
7.8.2020
मनहरण घनाक्षरी
बरखा बहार आई,
घनघोर घटा छाई ।
सावन फ़ुहार पड़े,
मन तरसाइये ।
पिया जी जो साथ रहें,
सावन न बेरी लगे।
झूला सँग साजन के,
खूब ही झुलाइये ।
सखियों के रंग रँगी,
मेहंदी हाथों में सजी।
कजरे की धार फिर,
तेज कर जाइए ।
याद जब साजन की,
आये तुम्हें घड़ी घड़ी।
मिलने की चाह फिर,
मन में जगाइए ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें