पोरा के तिहार
बड़ मगन हे, लइका अऊ सियान
आज हे, पोरा के तिहार
चुकी पोरा म, टुरी मन हा बनाही
ठट्ठा मठ्ठा के छत्तीसगढ़ी व्यंजन
टुरा मन हा,हंस हंस के खाही
गउकीन बड़,मजा आही
बड़ मगन हे, लइका अऊ सियान
आज हे, पोरा के तिहार
नंदिया बइला ला, सजाही
दाई ददा नइ जावय,खेत खार
बड़े बहिनी,देखत हो ही
ददा ह आज, तीजा लेगे बर आही
ददा हा देखत हे, कतका बेरा
रोटी ला बनाही
पहिली कस,नइ होवय
गांव गांव म, बइला के दौड़
बड़ सुग्घर, लागे संगवारी
मोर पहिली के गांव
बड़ मगन हे, लइका अऊ सियान
आज हे, पोरा के तिहार
पहिली पंसद,गुरहा चीला रोटी
देखके लार ह,टपक जाथे
फेर मजबूरी हे,सबले पहिली
नंदिया बइला ला, खवाथे
तभो ले,ठंडा ठंडा चीला रोटी हा
बड़ सुग्घर, लागथे
बड़ मगन हे, लइका अऊ सियान
आज हे, पोरा के तिहार
लइका मन मा हे,गंगाजल कस मया दुलार
बड़ पबरित हे, ये पोरा के तिहार
झुमत हे रुख राई,मौसम हे सुग्घर
मगन हे जम्मो परानी,मगन हे किसान
हवा चलय, सरसर
नरवा अऊ नंदिया म चलत हे धार
बड़ मगन हे, लइका अऊ सियान
आज हे, पोरा के तिहार
नूतन लाल साहू
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