गांव की मिट्टी
अपनी रोटी,मिल बांट के खाये
आंनद मिलती हैं,उस चपाती में
सुख शांति की सुगंध आती हैं
अब भी, गांव की मिट्टी में
मानो सींच रहा है, माली
सामाजिक पौधों में, भर भर पानी
अनेक जातियों की फूलो से पुष्पित है
बगिया,मेरी गांव की मिट्टी में
अपनी रोटी, मिल बांट के खाये
आंनद मिलती हैं,उस चपाती में
सुख शांति की सुगंध आती हैं
अब भी, गांव की मिट्टी में
गांव की मिट्टी,सोना उगले
गांव की मिट्टी,सम्मान
गांव की मिट्टी से,नेता भी उपजे
गांव की मिट्टी है बेजोड़,जगत में
अपनी रोटी, मिल बांट के खाये
आंनद मिलती है,उस चपाती में
सुख शांति की सुगंध आती है
अब भी, गांव की मिट्टी में
सरसो की डाली,गेहूं की बाली
बहुत खूबसूरत लगती हैं
गांव की मिट्टी में
कलिया बन जाओ,फूल बन मुस्कुराओ
स्वर्ग से भी सुंदर, संसार बसा है
मेरे गांव की मिट्टी में
अपनी रोटी, मिल बांट के खाये
आंनद मिलती हैं, उस चपाती में
सुख शांति की सुगंध आती हैं
अब भी, गांव की मिट्टी में
है,मंदिर मस्जिद और गुरुद्वारा
निवास करते हैं,सभी धर्म को मानने वाला
गांव की मिट्टी, तो चंदन है
जहां दिखती हैं,भाई चारा
अपनी रोटी, मिल बांट के खाये
आंनद मिलती हैं, उस चपाती में
सुख शांति की सुगंध आती है
अब भी, गांव की मिट्टी में
नूतन लाल साहू
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