नूतन लाल साहू

आशा का परचम लहरा


अंधियार भगा जाही


अंजोर बगर जाही


सब दिन एके सही 


नइ होय रेे संगी


आशा का परचम लहरा,धीरज धर


जांगर चलावव, पछीना बोहावव


मेहनत के धरम निभावव


माटी ल सोन बनावव


सेवा धरम परहित


जिनगी के हे सार


आशा का परचम लहरा,धीरज धर


बड़ जरूरी हे,जियेबर


अन्न के दू ढोम्हा


तन ढाके बर कपड़ा अउ


रहे बर कुरिया के कोन्हा


हवा पानी माटी सिरजइया


बरम्हांड रचईया ह


आसिरवाद दीही


बिहनिया के सुरुज जरूर आ ही


आशा का परचम लहरा,धीरज धर


समे के चक्का ह,चलते च रहिथे


जवईया के संगी


सिरिफ सुरता ह रहिथे


अंधियार ल तै झन डरा


मोर गोठ ल त मान


रतिहा पहाही,हो ही बिहान


आशा का परचम लहरा,धीरज धर


करम अऊ धरम के


झन टोर विसवास ल


हिम्मत झन हार,भरोसा ल राख


मनखे के चिन्हारी,विपत म होथे


आशा का परचम लहरा,धीरज धर


नूतन लाल साहू


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