नूतन लाल साहू

मानवता ही धर्म 


पांच तत्व का बना शरीर 


धरती,गगन,जल,अग्नि,समीरा 


माया मोह का है,जंजीरा


किसी को सुख है,तो किसी को पीड़ा


सबसे पहले,तुम बेटा हो


तक़दीर हो, मां बाप का


अपना फर्ज भूल न जाना


मानवता ही धर्म है


कहीं की माटी,सोना उपजे


कहीं का माटी, सम्मान


कहीं की माटी,नेता उपजे


कहीं का माटी, फौजी जवान


ये कोरोना का कहर


सबको हिला दिया है


जो कभी न रोया हो


उनको भी रुला दिया है


फरिश्ता बन जा, दीन दुखियों का


मानवता ही धर्म है


सोच से ही, बुद्धि है


बुद्धि से ही,दृष्टि है


और दृष्टि से ही,सृष्टि है


पल में जीवन,पल में मृत्यु


पल पल परिवर्तन होता है


अनेकता में एकता,का नारा


हर कोई बहुत लगाते हैं


लोहा लेकर,वीर शहीदों ने


दी हमको,आजादी है


बम तोपो की होड़ मची है


नैतिकता घट आई है


देश भक्ति को छोड़ न जाना


मानवता ही धर्म है


छुरी भोकना सहज हुई हैं


पत्थर मारने का है, शौक


अभी तो प्यारे,अच्छा लग रहा है


पीछे होगी, पछतानी


आराम करना,हराम है


जीवन है, एक संग्राम


परहितकर,जीवन सफल बनाओ


मानवता ही धर्म है। 


 


नूतन लाल साहू


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