ध्रुव तारे, प्रहलाद उबारे
सब देवन में,श्रीकृष्ण बड़े हे
प्रेम भाव के भरे अनोखे
दीनो का दुख़ हरता है
बोलो श्रीकृष्ण,बोलो श्रीकृष्ण
हे पिंजरे की, ये मैना
भजन कर ले,श्रीकृष्ण का
ये संसार स्वप्न की माया
मेला है,पल छिन का
वो ही नटवर, वो ही नांगर
भजो रे मन गोबिंदा
बोलो श्रीकृष्ण,बोलो श्रीकृष्ण
क्यों विषयो में,मन को लगाया
पालनहार को,दिल से भुलाया
लख चौरासी में भरमाया
मुश्किल से यह नर तन पाया
राधे कृष्ण,श्याम बिहारी
गोपी वल्लभ, गिरवर धारी
हरिनाम जपन,तू कर ले रे मनवा
पाप कटेंगे,क्षण में भारी
बोलो श्रीकृष्ण,बोलो श्रीकृष्ण
जन्म गंवाता क्यों अनमोल
केशव माधव,गोविंद बोल
प्राणी है तू,भोला भाला
माया का है,खेल निराला
हरि बिन बीतत,उमर सारी
फिर आयेगी, काल की बारी
यह तन है,एक जर्जर नइया
केवल हरिनाम है, खिवैया
यह तन तुझको, करजा में मिला है
चुकता तूने,कुछ न किया है
ना पूरा तो,थोड़ा ही कर ले
श्रीकृष्ण नाम, हिरदय में धर ले
बार बार नर देह, न पावे
बोलो श्रीकृष्ण,बोलो श्रीकृष्ण
ध्रुव तारे,प्रहलाद उबारे
सब देवन में,श्रीकृष्ण बड़े हे
प्रेम भाव के भरे अनोखे
दीनो का दुख हरता है
बोलो श्रीकृष्ण, बोलो श्रीकृष्ण
नूतन लाल साहू
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