नूतन लाल साहू

कर्म ही श्रेष्ठ है


सतपथ ही,जीवन का पथ हो


वेद मंत्र गुंजे,हर उर में


भक्ति के मंदिर में,श्रृद्धा का दीप जला लो


जीवन में खुशियों के,गुलाब खिलेंगे


जिस तरह मूर्ति को, दुध पिला रहे हैं


तरह तरह के, छप्पन भोग लगा रहे हैं


उसी तरह, गरीब की झोपड़ी में भी जाओ


उसे इसकी जरूरत कहीं ज्यादा है


सतपथ ही जीवन का पथ हो


वेद मंत्र,गुंजे हर उर में


भक्ति के मंदिर में, श्रृद्धा का दीप जला लो


जीवन में खुशियों के गुलाब खिलेंगे


सूर्य का रथ, रोज चलता है


साथ किरणों के रोज निकलता है


तू भी हंसता चल, हंसाता चल


लुटाता चल, हंसी के पल


सतपथ ही जीवन का पथ हो


वेद मंत्र गुंजे हर उर में


भक्ति के मंदिर में, श्रृद्धा का दीप जला लो


जीवन में खुशियों के गुलाब खिलेंगे


समय से हार न जाओ,जीत बनकर मुस्कुराओ


पंछियों से,प्रेरणा लेकर भरे ऊंची उड़ाने


श्रृद्धा लगन समर्पण भाव से कर्म करो


काल चक्र को भी,भेद पाओगे


सतपथ ही जीवन का पथ हो


वेद मंत्र गुंजे हर उर में


भक्ति के मंदिर में, श्रृद्धा का दीप जला लो


जीवन में खुशियों के गुलाब खिलेंगे


एकलव्य जैसा,दृढ़ निश्चय हो


भक्त प्रहलाद सा रखो,अटल विश्वास


जब तक चांद सितारे,नभ में रहेगा


युगों युगों तक चलता रहेगा,तेरा नाम


सतपथ ही जीवन का पथ हो


वेद मंत्र गुंजे हर उर में


भक्ति के मंदिर में, श्रृद्धा का दीप जला लो


जीवन में खुशियों के गुलाब खिलेंगे


 


नूतन लाल साहू


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