प्रखर

*जय राम जी की*


संकट घन भग्न हुए सारे,प्रफुल्लता चहुँओर है।


औध दुलहिन जस सजी, ढप ढोल ध्वनि घनघोर है।।


वत्सला सरजू उमंगित, जय राम का उद्घोष नभ,


श्रीराम द्वारे गवै सोहर, नर


 नारि संत विभोर हैं।।


 


 


 


*प्रखर*


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