भजन
*मोहना*
कंगना ले आयी बाजना
मैं दौडी चली आयी मोहना
मैं वृन्दावन की हौं गुजरिया
नेक बंसुरी सुनाय रे! सांवरिया।
तू रसराज छबोलो बांको,
मैं दौडी चली आयी......
सावन घन छाए नैनन मँह
मेरी नींद गयी जाने चैन कँह
कजरारे कपोल उदास पैंजनी,
लागै सखि सुनो आंगना।।
मैं दौडी चली आयी.........
पनघट जमुना तट सुन परे
रसराज बिना रस कौन भरे
छछिया भर छाछ जो मांगै सखी,
अब सूने खरिक घट री दोहना।।
मैं दौडी चली आयी ..............
सिर मोर मुकट गल पीताम्बर
तुम पै वारी मैं मुरलीधर
रे! तू छलिया चितवन टेढी,
मतवारी रास रचाऊँ सोहना।।
मैं दौडी चली आयी ..............
*प्रखर दीक्षित*
*फर्रूखाबाद*
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