प्रखर* *फर्रूखाबाद

*जय रामलला*


 


जय रामलला अवधेश लला, जगतारन पूर्ण प्रकाम हरे।


दशरथनंदन कौशल्या सुत, अनुपम छवि सुघर ललाम हरे।।


पीताम्बर गल नीलाम्बुज तन, मनहर नयना बजनी पैंजनि,


सौमित्र भरत रिपुसूदन सॆग , लटुरी बिखरी सुखधाम हरे।।


 


हर्षित नर नारि विहग चहकैं, न्यौंछावर कोटिन काम हरे।


अज अवध दुलनियाँ जस निखरी, दमकै पुनि स्वर्णिम धाम हरे।।


साकेत जयति जय जन्मभूमि, सिय पिय जय जय रघुनंदन जय,


जय धर्म ध्वजा जय भारत भू, शुभदा वरदा जय राम हरे।।


 


 


*प्रखर*


*फर्रूखाबाद*


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