रामलला के दिन बहुराए।
लोग अयोध्या देखन आए।
पाॅ॑च सदी तक बहु दुख पावा।
दुष्ट बहुत सब किन्ह छलावा।
पाॅ॑च सदी प्रभु थे वनवासी।
रही अवध में बहुत उदासी।
देर-सवेर न्याय प्रभु पावा।
आज अयोध्या दिन वो आवा।
जब मंदिर की नींव खुदेगी।
और शिला इक रजत डलेगी।
मंदिर अब इक भव्य बनेगा।
जो दुनिया में नाम करेगा।
अनुपम मंदिर होगा भाई।
जा में राजेंगे रघुराई।
मास भाद्रपद कृष्ण दो,
शुभ दिन था बुधवार।
शिलान्यास मंदिर हुआ,
मन में खुशी अपार।
राजेंद्र रायपुरी
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