भाग्योदय होता तभी,
जब करते कुछ काम।
होता भाग्योदय नहीं ,
करने से आराम।
झूठ नहीं यह बात है,
सच मानो श्रीमान।
दुखी सदा रहते वही,
जो सोते हैं तान।
करे परिश्रम जो सदा,
सुखी वही इंसान।
जो माने कहना नहीं,
समझो वो नादान।
सतत परिश्रम कीजिए,
यदि करना उत्थान।
बिना परिश्रम तो नहीं,
मिले मान-सम्मान।
भाग्योदय का मानिए,
केवल एक उपाय।
बिना कहे हो कर्म निज़,
कहता है कविराय।
। राजेंद्र रायपुरी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें