कान्हा देखो आ गया,
लेकर सारे ग्वाल।
मटकी फोड़न को सखी,
देखो करे धमाल।
माखन उसको चाहिए,
खाने को हर हाल।
कृष्ण अष्टमी भाद्रपद,
हरदम करे धमाल।
छींके पर हाॅ॑डी टॅ॑गी,
फिर भी माखन चोर।
माखन खाने के लिए,
लगा रहा है जोर।
ग्वाल -बाल सीढ़ी बने,
ये नटखट गोपाल।
माखन खाने के लिए,
बैठा काॅ॑धे ग्वाल।
नहीं यशोदा मानतीं,
हरदम करें बवाल।
तुम सब ने है मल दिया,
माखन मोहन गाल।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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