नज़र है कहीं पर कहीं पर निशाना,
यही आज करता है सारा ज़माना।
हैं माहिर इसी में ये नेता हमारे,
इन्हें खूब आता निशाना लगाना।
कहें जो न करते कभी सच ये मानो,
उन्हें ख़ूब आता बहाना बनाना।
चलें चाल ऐसी कि कुर्सी न छूटे,
पड़े दूजे दल में भले इनको जाना।
अगर सीखना हो तो सीखो इन्ही से,
है घड़ियाली आॅ॑सू कहाॅ॑ पर बहाना।
यही गुर सिखाते कहा मेरा मानो,
कहाॅ॑ और कैसे है कुर्सी गिराना।
करें काम सारे ये जनहित में भाई,
मगर ध्येय होता है पैसे कमाना।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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