राजेंद्र रायपुरी

घिसाई बाद में करना 


                अभी रख दो वहीं चंदन।


उठा लो गोद बेटे को


                 बहुत ही कर रहा क्रंदन।


 


न छोड़ो यूं उसे देखो


                    बहुत मासूम बच्चा है,


सुना कर बाल क्रंदन तुम


              बढ़ाओ मत मे'री धड़कन।


 


हजारों बार समझाया 


                  नहीं तुम ध्यान देती हो,


भला फिर क्यों नहीं होगी


                हमारे बीच कुछ अनबन।


 


बुरा क्यों मानती कहता 


                   भलाई के लिए हरदम,


खिला है फूल किस्मत से 


                अभी तो एक ही आॅ॑गन।


 


अगर मुरझा गया तो 


                जी न पाऊॅ॑गा सुनो मैं तो, 


न कहना फिर गए क्यों


          छोड़कर मुझको मे'रे साजन।


 


कहा तुम मान जाओ तो 


               रहेंगे सुख से' ही हम-तुम,


दमकती तुम रहोगी और 


                     दमकेगा सदा कंगन।


 


गले में बाॅ॑ह डालोगी 


                    सदा तुम प्यार से मेरे,


बजेगी हाथ की चूड़ी 


             सदा ही प्यार से खन-खन।


 


           ।। राजेंद्र रायपुरी।।


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