धरती पलंग है,आश्वासन बिछौना।
अम्बर को ओढ़ कर,हमको है सोना।
छोटी सी आस है,मन में विश्वास है।
अच्छे दिन आएॅ॑गे, मंज़िल हम पाएॅ॑गे।
अपने भी उपवन में होंगी बहारें,
कलियाॅ॑ मुस्काएॅ॑गी, संग-संग हमारे।
चंदा भी आएगा,आॅ॑गन हमारे,
रातों में चमकेंगे, झिल-मिल सितारे।
छोटी सी आस है, मन में विश्वास है।
अच्छे दिन आएॅ॑गे, मंज़िल हम पाएॅ॑गे।
मेहनत करेंगे,पसीना बहाएॅ॑गे।
श्रम से कभी भी न,जी हम चुराएॅ॑गे।
बढ़ते कदम को न पीछे हटाएॅ॑गे।
पथरीली राहों पर चलते हम जाएॅ॑गे।
छोटी सी आस है, मन में विश्वास है।
अच्छे दिन आएॅ॑गे, मंज़िल हम पाएॅ॑गे।
कोई बड़ा न, कोई होगा छोटा।
कोई न होगा, बिन पेंदी का लोटा।
मिलजुल कर हम,नई दुनिया बनाएॅ॑गे।
नफ़रत की सारी,दीवारें गिराएॅ॑गे ।
छोटी सी आस है,मन में विश्वास है।
अच्छे दिन आएंगे, मंज़िल हम पाएॅ॑गे।
।।राजेन्द्र रायपुरी।।
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