ये तन भारती है,वतन भारती है।
लगे इसमें तन, तो वो तन भारती है ।।
दीन दुखियों की सेवा में आयें।
आश्रय विहीनों को,आश्रय दिलायें।।
लगे इसमें धन तो वो धन भारती है ।
ये तन भारती है, वतन भारती है ।।
कहें जो करें, कह कर फिर बदलें न ।
प्राण चलें जाये फिर भी कहना टले न ।।
टले न वचन तो वचन भारती है ।
ये तन भारती है, वतन भारती है ।।
देश की रक्षा में निज तन को लगायें।
हंसते हंसते शहीद हो जायें।।
मिले जो "तिरंगा" सागर वो कफ़न भारती है ।
ये तन भारती है, वतन भारती है ।।
रामानन्द सागर दरियाबाद बाराबंकी उ०प्र०
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