मंगल कारक हैं।
शंकर बालक हैं ।
मंदिर मूरत है ।
मोहक सूरत है।
मोदक चाह रही।
पैजन बाज रही।
कीर्तन गान करें
मंडप साज रहे।
मूषक आप चढ़ो ।
आसन ओर बढ़ो।
आकर भोग चखो ।
संतन लाज रखो।
दीनन दान मिले।
लेकर आज चले ।
अंधन नैन खुले ।
जीवन राग घुले।
रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर, सी जी।6
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