लागी लगन मोहे श्याम नाम की
सुधि नाहीं मोहे ,सुबह शाम की।
हरि कीर्तन से तुझको रिझाऊँ,
राधे-राधे पहले बुलाऊँ।
झाँझ बजाऊँ, डफली बजाऊँ ,
तेरी छवि में डूब मैं जाऊँ।
नाचूँ दे दे ताल भी ,
सुधि मोहे नाहीं सुबह शाम की।
मोहनी सूरत प्यारी प्यारी
बांके बिहारी की छवि न्यारी।
तेरी खातिर आई मथुरा,
वृंदावन में लागा पहरा।
राह पकड़ ली गोकुल धाम की,
सुधि मोहे नाहीं सुबह-शाम की।
तेरी छवि पर वारी जाऊँ,
मोहन तेरे ही गुण गाऊँ।
चाहती मीरा सी बन जाऊँ,
या सूर सी दृष्टि मैं पाऊँ।
मुरली बनूँ मैं अपने श्याम की।
सुधि मोहे नाहीं सुबह-शाम की।
लागी लगन,,,
रश्मि लता मिश्रा
बिलासपुर, सी,जी।
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