यादों के झरोखों से
जीवन के इस पड़ाव पर अब
जब सोचूँ मैं उस अतीत को
सुखद क्षणों के उन्हीं पलों को
हर पल की सदा उस जीत को ।
कदम कदम संग साथ चल कर
हर कष्ट को सदा दल दल कर
खुद की न की परवाह तुमने
जीत लिया मन मेरा तुमने
किया समर्पित सदा प्रीत को
हर पल की सदा उस जीत को .....
प्यार की परछाइयाँ पलतीं
क्षण की भी तन्हाइयाँ खलतीं
साथ नहीं छोड़ा तुमने तो
मुख न कभी मोड़ा तुमने तो
सदा निभायी प्रीत - रीत तो
हर पल की सदा उस जीत को .....
झरोखे याद के झाँकूँ जो
लेखा - जोखा भी आँकूँ तो
आल्हाद मन में होता है
मन नयन भी तो भिगोता है
गाऊँ फिर उस मिलन गीत को
हर पल की सदा उस जीत को ....
(C) रवि ररश्मि 'अनुभूति '
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