अवधपुरी में जन्म लिया है ।
पावन इस धरा को किया है ।।
प्रबल सभी भाग्य ले आये ।
कौशल्या सदन पुत्र सुहाये ।।
पुरुषोत्तम राम वे कहाये ।
कल्याण सभी का कर पाये ।।
गले माल सजे धनुर्धारी ।
सारी दुनिया रही पुजारी ।।
तेजस्वी राम ही बने थे ।
सौम्य बहुत वे वीर बने थे ।।
शीश मुकुट वाले सोहे थे ।
सभी ब्रह्मांड में मोहे थे ।।
मन में अपने राम बसा लो ।
बिगड़े अपने काम बना लो ।।
राम अयोध्या अब आये हैं ।
बादल खुशियों के छाये हैं ।।
अयोध्यानगरी अभी झूमे।
खुशियों में तो अब सब घूमें ।।
भजन आरती अब सब गायें ।
मन में अब आध्यात्मिकता पायें ।।
सभी के हैं बस राम प्यारे ।
करते काम नेक सब न्यारे ।।
अब मंदिर में धूम मची है ।
सुन्दर झाँकी अभी सजी है ।।
सब जन मन में राम बसाओ ।
सभी जन खुशियाँ भी मनाओ ।।
मोहक छवि सब ही अपनाओ ।
राम के गुण सभी ही गाओ ।।
राम सबका भाग्य बनाते ।
पाप सभी के हैं कट जाते ।।
दुविधाओं में सुख देते हैं ।
कष्ट सभी के हर लेते हैं ।।
मन में सब ही राम बसाओ ।
राम नाम ही जपते जाओ ।।
मन में राम बसेंगे जैसे ।
सुख - वर्षा हो वैसे - वैसे ।।
रवि रश्मि अनुभूति
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