संदीप कुमार विश्नोई

मथुरा में पहुँचे हैं मोहन के संग दाऊ , 


कुंजर से लड़े तब मदन मुरारी है। 


 


कोमल कमल कर गज दाँत वो उखाड़े , 


साँवले सलौने की तो महिमा ही न्यारी है। 


 


लीद फेंकने लगा वो हटता है पीछे पीछे , 


चीख तो निकल गई सिंधुर की सारी है। 


 


फेंक दिया करी नभ मोहन उठा के झट


मोहन की लीला पर जग बलिहारी है। 


 


संदीप कुमार विश्नोई


दुतारांवाली तह0 अबोहर जिला फाजिल्का पंजाब


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