संदीप कुमार विश्नोई रुद्र

अमर हुआ है नाम पूजता है जग सारा , 


श्याम राधिका की जोड़ी सबको लुभाती है। 


 


बाँसुरी बजाते जब मदन गोपाल प्यारे , 


यमुना के तट राधा दौड़ी दौड़ी आती है। 


 


कदम्ब के तरु पीछे छुप के वो देखती है , 


मोहन की मुरली को कोसती ही जाती है। 


 


अधर से मुरली को श्याम जी हटाते जब , 


मोहन के संग रास राधा जी रचाती है। 


 


संदीप कुमार विश्नोई"रुद्र"


दुतारांवाली तह0 अबोहर पंजाब


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...