श्याम सलोने मोहन मेरे , नटखट नन्दकिशोर।
कोई नटवर कहता इनको , कोई माखनचोर।
पद पंकज से पावन करते , वृन्दावन का धाम।
भक्तों की पीड़ा हरते हैं , हरपल खाटूश्याम।
आए बन कर श्याम मुरारी , हरने कष्ट तमाम ,
ब्रज की रज को मोहन छू कर , करते पुण्य ललाम।
पीत ललाट लगाकर चंदन , होते भावविभोर ,
कोई नटवर कहता इनको , कोई माखनचोर।
मंजुल आनन प्यारा लगता , ज्यों श्यामल घनघोर ,
प्रेमिल पाश बँधा मैं ऐसे , जैसे चन्द्र चकोर।
मेरे मन में छुपकर बैठे , शोभित श्याम सुजान ,
भक्तों का यश श्याम बढ़ाते , बन उनकी पहचान।
ढोल नगाड़े शंख बजाओ , आई है शुभ भोर ,
कोई नटवर कहता इनको , कोई माखनचोर।
संदीप कुमार विश्नोई "रुद्र"
पंजाब
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें