संगीता श्रीवास्तव सुमन

ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने ....


 


ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने ,


अवधपुरी के राम को , राम बनाया आपने | 


लीलाधर का खेल है , जग मोहित चहुँओर है ,


मनमोहक मुस्कान पर , काग भक्ति का शोर है |


मंगल उत्सव गान में , ख़ूब नचाया आपने ,


ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने |


 


राम भरत के प्रेम में , प्रेम भरत का ताज है ,


सीता हैं अनुगामिनी , प्रेम परीक्षा आज है |


राम नाम की धूम है , सजा अयोध्या धाम है ,


दीप दीप मिल जल रहे , राम जन्म अभिराम है ,


राम राम जप कर रहे , अलख़ जगाया आपने ,


ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने |


 


राम नाम जो भज रहा , ज़ाति पाति से और है ,


धरती सारी ही थमी , राम शरण ही ठौर है |


पश्चिम के भी सूर्य की , तुण्ड छटा श्री राम हैं ,


अपलक देख रही सृष्टि , दृश्य दृश्य ही राम हैं |


धर्म , नीति और ज्ञान को , ऐसे मिलाया आपने ,


ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने |


 


आज राम के धाम को , राम राज्य की चाह है ,


माटी ,पानी साथ ले , जनता उमड़ी राह है |


जैसे अड़चन लाँघते , महाबली हनुमान हैं , 


त्राहिमाम की इस घड़ी , रामलला वरदान हैं |


जग कल्याण निमित्त ही , हरि गुन गाया आपने ,


ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने |


 


@संगीता श्रीवास्तव सुमन


 छिंदवाड़ा मप्र


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