ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने ....
ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने ,
अवधपुरी के राम को , राम बनाया आपने |
लीलाधर का खेल है , जग मोहित चहुँओर है ,
मनमोहक मुस्कान पर , काग भक्ति का शोर है |
मंगल उत्सव गान में , ख़ूब नचाया आपने ,
ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने |
राम भरत के प्रेम में , प्रेम भरत का ताज है ,
सीता हैं अनुगामिनी , प्रेम परीक्षा आज है |
राम नाम की धूम है , सजा अयोध्या धाम है ,
दीप दीप मिल जल रहे , राम जन्म अभिराम है ,
राम राम जप कर रहे , अलख़ जगाया आपने ,
ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने |
राम नाम जो भज रहा , ज़ाति पाति से और है ,
धरती सारी ही थमी , राम शरण ही ठौर है |
पश्चिम के भी सूर्य की , तुण्ड छटा श्री राम हैं ,
अपलक देख रही सृष्टि , दृश्य दृश्य ही राम हैं |
धर्म , नीति और ज्ञान को , ऐसे मिलाया आपने ,
ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने |
आज राम के धाम को , राम राज्य की चाह है ,
माटी ,पानी साथ ले , जनता उमड़ी राह है |
जैसे अड़चन लाँघते , महाबली हनुमान हैं ,
त्राहिमाम की इस घड़ी , रामलला वरदान हैं |
जग कल्याण निमित्त ही , हरि गुन गाया आपने ,
ऐसे कब हम जानते , चरित सजाया आपने |
@संगीता श्रीवास्तव सुमन
छिंदवाड़ा मप्र
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