संजय जैन

नही भूल पाया हूँ में


जिन्होंने दगा दिया था।


मेरी हंसती जिंदगी में


जहर जिन्होंने घोला था।


कहर बनकर उनपर भी


टूटेगा मेरे हाय का साया।


और पड़पेगे वो भी 


जैसे में तड़प रहा।।


 


जिंदगी का है हुसूल


जो तुमने औरों को दिया।


वही सब तुमको भी


आगे जाकर मिलेगा।


फिर तुमको याद आएंगे


अपने सारे पाप यहां।


और भोगोगे अपनी 


करनी का पूरा फल।।


 


समय चक्र एक सा 


कभी नही चलता है।


जो आज तेरा है 


वो कल औरों का होगा।


यही संसार का नियम


विधाता ने बनाया है।


और स्वर्ग नरक का खेल


यही दिखाया जाता है।।


 


जो गम तुमने दिए थे


वो अब तुम्हे मिलेंगे।


और तेरे साथी ही 


तुझ पर अब हंसेगे।


और ये सब देखकर तू


अपनी करनी पर रोएगा।


पर तेरी आंसू कोई भी


पूछने वाला नहीं होगा।


 


संजय जैन (मुंबई)


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