संजय जैन

उम्र बीत जाती है,


जिंदगी को बनाने में।


मेहनत करनी पड़ती है,


लक्ष्य को पाने में।


तब कही जाकर मंजिल, हासिल कर पाते है।


और अपनी पहचान,


बना पाते है जमाने में।।


 


लोगों को हँसना तालियां बजबना,


कोई आसान काम होता नही।


खुदका दर्द पीकर 


जो हंसाये जग को।


वो बहुत जिंदा दिल 


इंसान होता है।


मुर्दा होते है वो 


 जो गमो में डूबे रहते है।


और जिंदा होते हुए 


मुर्दा बन जाते है।।


 


दाग जिंदगी पर 


तब लग जाता है।


बिना मूल्यांकन के 


अंक दिया जाता है।


और जिंदगी को तहबा 


कर दिया जाता है।


जिंदा रहते हुए 


मार देते उसे।


और बदनाम उसको


जग में कर देते है।।


 


संजय जैन (मुम्बई)


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