बहुत ख़ुशी है आज
हम सब को।
मना जो रहे है
स्वंत्रता दिवस को।
पर मिली कैसे
हमे ये आज़ादी।
जरा डालो नजर
तुम इतिहास पर।।
न जाने कितनी मांओ
की गोदे उजड़ गई।
न जाने कितनी माँगे
बहिनों की उजाड़ गई।
न जाने कितने बच्चों के
सिर पर से उठ गया साया।
तब जाकर मिल पाई थी
हमको ये आज़ादी।।
न जाने कितने वीरो को
हम लोगो ने खो दिया।
भरी जवानी में उन्हें
प्राण गमाना पड़ा ।
और न देखा सुख
उन्होंने इस आज़ादी का।
जिसके लिए दे गए
सभी अपनी कुर्बानियां।।
सलाम करते है हम
उनके माँ बाप को।
जिनके पुत्रो पुत्रियों ने
दिया बलिदान अपना।
उन्हें अर्पण करते है
श्रध्दा के सुमन हम।
सदा जिंदा रहेंगे वो
भारत मां के दिलो में ।
जिन्होंने दिलाई आजादी
हमें उन अंग्रेजो से।।
स्वंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर मेरी कविता उन सभी शहीदों के लिए समर्पित है। जिन्होंने हमे आजादी दिलाई। श्रध्दा सुमन अर्पित करता हूँ।
जय हिंद जय भारत
संजय जैन (मुंबई )
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