नही होती सुंदरता
किसी के भी शरीर में।
ये बस भ्रम है
अपने अपने मन का।
यदि होता शरीर सुंदर
तो कृष्ण तो सवाले थे।
पर फिर भी सभी की
आंखों के तारे थे।।
क्योंकि सुंदरता होती है
उसके कर्म और विचार में।
तभी तो लोग उसके प्रति
आकर्षित होकर आते है।
वह अपनी वाणी व्यवहार
और चरित्र से जाना जाता है।
तभी तो लोग उसे
अपना आदर्श बना लेते है।।
जो अर्जित किया हमने
अपने गुरुओं से ज्ञान।
वही ज्ञान को हम
दुनियाँ को सुनता है।
जिससे होता है एक
सभ्य समाज का निर्माण।
फिर सभी को ये दुनियां,
सुंदर लगाने लगती है।
इसलिए संजय कहता है,
जमाने के लोगो से।
शरीर सुंदर नही होता
सुंदर होते उसके संस्कार।।
जय जिनेन्द्र देव
संजय जैन (मुम्बई)
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