*कलाम का कमाल*
विधा : गीत
बहुत फक्र करते थे
हम अपनो पर यार।
बंद आंखों से विश्वास
करते थे उन पर हम।
पर पढ़ न सके उन्हें
साथ रहते हुये हम।
तभी तो उठा दिया जनाजा विश्वास का आज।
और आंखे मेरी खोल दी,
की मत करो किसी पर विश्वास।।
जो अपनो से विश्वास
घात करता है।
और अपनो को अपना
बनकर लूटता है।
एक दिन ऐसा आएगा
उनके भी जीवन में।
सब कुछ रहेगा पास
पर अपना न होगा कोई।।
जब तक तेरे सितारे
बुलंद होते है,
तबतक तेरा कोई कुछ
बिगड़ सकता नहीं।
इसलिए तो अपने कामो पर करता रहा घमंड।
पर जब आता है बुरा वक्त
तब कोई भी साथ नहीं देते।
तब अपने किये गये कर्म
याद बार बार आते है,
पर तब तक देर
हो चुकी होती।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
05/08/2020
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