संजय जैन (मुम्बई

*तुम लिखवाते हो*


विधा : गीत


 


मेरे गीतों की 


सुनकर आवाज़ तुम।


दौड़ी चली आती 


हो मेरे पास।


और मेरे अल्फाजो को


अपना स्वर देकर।


गीत में चार चांद


तुम लगा देती हो।।


 


लिखने वाले से ज्यादा 


गाने वाले का रोल है।


चार चांद तब लग


जाते है गीतों में।


जब मेरे शब्दों को


दिलसे तुम गाती हो।


और गीत को अमर


तुम बना देती हो।।


 


मैं वो ही लिखता हूँ


जो दिलसे निकलता है।


एक एक शब्द मेरा 


खुद हकीकत कहता है।


तभी तो पढ़ने वाले भी


खुद गुनगुनाने लगते है।


और रचना को सार्थक


वो बना देते है।।


 


जय जिनेन्द्रा देव की


संजय जैन (मुम्बई)


07/08/2020


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