संजय जैन (मुम्बई

*परिश्रम फल*


विधा : कविता


 


मिला मुझको बहुत कुछ


अपनी मेहनत लगन से।


मेरे अनुभवों को कोई न


क्या कभी छोड़ा पायेगा।


तपा हूँ आग की भट्टी में


तो कुछ बनकर ही निकला हूँ।


और फिर से जिंदगी में कुछ नया निश्चित करूंगा।।


 


भले ही जमाने ने हमे 


ठोकर मार दी हो।


पर अपने लक्ष्य से में


कभी पीछे नही हटूंगा।


और अपने कदमो को


मंजिल तक पहुंचाऊंगा।


और अपनी मंजिल को


मेहनत लगन से पाऊंगा।।


 


करके जाऊंगा कुछ ऐसा


की जमाने वाले देखेंगे।


और अपने आप पर 


वो भी शर्मिन्दी देखेंगे।


यदि इरादे नेक हो तो


मंजिल निश्चित मिलती है।


और फिर से तेरी किस्मत


एक दिन जरूर चमकेगी।।


 


जय जिनेन्द्रा देव की


संजय जैन (मुम्बई)


06/08/2020


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