संजय जैन

पूर्णिमा का चांद


 


कही दीप जल रहे है


तो कही छाय पढ़ रही है।


कही दिन निकल रहा है


तो कही रात हो रही है।


मोहब्बत करने वालो को


क्या फर्क पड़ता है।


क्योंकि उन दोनों के तो


दिल से दिल मिल गये है।।


 


पूर्णिमा के चांद का


कुछ अलग महत्व है।


चांदनी रात का भी 


विशेष महत्व है।


मिलते है जब वो


इस सफेद चांदनी 


चादर के ताले।


तो रात रानी के फूल


चारो तरफ खुशबू बिखेर देती है।।


 


देख तमाशा ये कामदेव भी


धरती पर मोती बिखर देते है।


और सच्चे प्रेमियों को


मोहब्बत के लिए बुलाते है।


और खुद कामदेव सारे बाग में सुंदरता फैलाते है।


और पूर्णिमा के चांद का 


रमणीय दृश्य सभी को दिखाते है।।


और लोगो को मोहब्बत करना सिखाते है। 


मोहब्बत करना सिखाते है।।


 


जय जिनेन्द्र देव 


संजय जैन (मुम्बई)


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