सत्यप्रकाश पाण्डेय

मनमोहन से प्रीति हुई


लोकलाज सब भूल गई


कियो समर्पित जीवन


मैं जग के प्रतिकूल हुई


 


लो बाहों मैं माधव मेरे


तुम बिन नहीं मेरा कोई


जब से मिला सानिध्य


राधा तो कृष्णा में खोई


 


हरि हर लीन्हों मन मेरों


कमलकांति अलि भांति


मुझ चातकी को मोहन


तुम ही हो सींकर स्वाति।


 


युगलरूपाय नमो नमः


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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