सत्यप्रकाश पाण्डेय

अधरों की हाला..........


 


मुझको पिला दो अपने अधरों की हाला


व्याकुल है मेरा मन बिना तेरे मधुबाला


 


जब जब दुनियां के गमों ने मुझको घेरा


तब तब याद आती तेरी हिय मधुशाला


 


घने अंधकार ने रोकी है मेरी राहें भले ही


तुम हो तो आयेगा मेरे जीवन में उजाला


 


अकूत सम्पदाओं का बन जाऊँ मैं स्वामी


तुम नहीं तो जिंदगी का हरपल है काला


 


तेरी आँखों की मादकता से हो उन्मादी


भूलूँ जग की पीड़ा पल पल बने निराला


 


सत्य का ये जीवन अर्पित तुम्हें सुरबाला


मुझको पिला दो अपने अधरों की हाला।


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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