मादकता लिए...........
ममत्व समत्व लिए हृदय में
लगती हो देवलोक की बाला
असीम स्नेह सागर आँखों में
सुरभित आनन है मतबाला
सुललाट पर विधु की रेखाएं
सौभाग्य प्रदर्शित करती सी
जिस ह्रदय की हो तुम चाहत
रहें उसे उल्लासित करती सी
कुन्तल कुन्ज की उत्कृष्ट छटा
लगें हैं श्रृंखलाएं सम्मोहन की
चित्ताकर्षक भाव भंगिमाएं
मानो अद्भुत छवि है मोहन की
हे करभोरु!नयनों का चितवन
देख तपस्वियों का तप डोले
गात मृगी सी चंचलता लेकर
सद हृदयों में मादकता घोले।
सत्यप्रकाश पाण्डेय
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