सत्यप्रकाश पाण्डेय

जीवन चमन के फूल..


 


मेरे जीवन चमन के फूल


आ तुझे हृदय से लगा लूँ


अरे न पहुँचे क्षति तुझको


खुद सुरभि से महका लूँ


 


अनछुआ मकरन्द वो तेरा


करूँ आस्वादन जी भरके


क्षितविक्षित नहीं हो कली


करूँ आलिंगन पलकों के


 


भरे यौवन कलश जो तेरे


लगें सोमरस के से प्याले


पीता हूँ नयनों की राह से


बनाये रखते वो मतवाले


 


भले क्लिष्ट संरचना प्रिय


लगतीं तुम सौम्यता मूर्ति


मुझ स्नेह आकिंचन को


आकर्षित करती विभूति


 


भरी अंग अंग में सुवास


करे सुवासित हिय आंगन


एक तमन्ना है मेरी सजनी


बना लो सत्य को साजन।


 


सत्यप्रकाश पाण्डेय


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