सत्यप्रकाश पाण्डेय

वाचस्पति माँ हंस वाहिनी


मंगल मूरत ज्ञान दायिनी


स्वेत वसना वीणा वादिनी


सुर देवी पुस्तक धारिणी


 


पद्मासना हे सुर साम्राज्ञी


तुमसे ही हिय में आलोक


अज्ञान तमस हारिणी माँ


ज्योतिर्मय माँ हरती शोक


 


वरदा सुखदा मात शारदे


सदा आपका आशीष मिले


भव तारिणी दुख निवारिणी 


कृपा पा शब्द सुमन खिलें


 


कमलकांति हे वीणापाणि


मेरा जीवन हो देदीप्यमान


सत्य बने कृपा पात्र आपका


माते जग में पाऊँ सम्मान।


सत्यप्रकाश पाण्डेय


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...